परिचय : 450 किमी दूर की यात्रा में 28 घंटे क्यों?
Space Journey : अंतरिक्ष स्टेशन आम तौर पर पृथ्वी से लगभग 350–460 किमी की कक्षा में होता है। ऊँचाई स्वयं इतनी ऊँची नहीं—लेकिन पूरा चक्कर नहीं होता। असली समय ‘रैण्डीज़वस प्रक्रम’ (rendezvous process) के कारण लगता है, जिसमें ट्रांजिट, ऑर्बिटल इंट्री, डकिंग चक्कर, ट्रैकिंग, और कई तकनीकी सत्यापन होते हैं जो समय लेते हैं।
READ MORE :- अहमदाबाद एयरपोर्ट (Ahmedabad-airport) 2025: गुजरात का इंटरनेशनल हब और उड़ानों का भविष्य
1. 28 घंटे की गणना कैसे?
- फास्ट रैन्डीज़वस: कुछ मिशन 4—6 घंटे में स्टेशन तक पहुंचते हैं ।
- 17 घंटे वापसी: स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन के लिए भी लगभग 17 घंटे लगते हैं ।
- अधिकतम 28 घंटे: लंबे रैन्डीज़वस विकल्पों में यह समय ज्यादा सुरक्षित तरीके से सभी चेक मार्ल्ट्र बर्न और ट्राजेक्ट्री शाखाओं को पूरा किया जाता है।
इसलिए 450 किमी का आंकड़ा सिर्फ ऊँचाई नहीं, जैसा कि ट्रैक पर 28 घंटे लगने से ज़्यादा है।
2. चरण दर चरण यात्रा विवरण
चरण 1: उड़ान प्रक्षेपण (Launch)
- रॉकेट ~8 किमी/सेकंड की “साइडवे” गति प्राप्त करता है।
- लगभग 8–10 मिनट में स्थिर कक्षा में पहुँचता है ।
चरण 2: पत्र आकार कक्षा में प्रवेश
- ऊँचाई बदलकर ISS की कक्षा में पहुंचना।
- इस चरण में कई छोटे बर्न होते हैं।
चरण 3: रैन्डीज़वस डिटेलिंग
- अंतरिक्ष यान को स्टेशन के समान ऑर्बिट प्लेन में लाया जाता है।
- छोटी दूरी को घटाते–बढ़ाते हुए, 5 m/s से भी कम रिलेटिव वेलोसिटी पर डकिंग करना होता है ।
चरण 4: चेक और समायोजन
- ट्राजेक्ट्री की निगरानी: चैनलों, सेंसर और कम्युनिकेशन चेक।
- अगर बर्न ज़्यादा हो गया, बैक-बर्न की जाती है—इससे ईंधन बचता है।
चरण 5: अंतिम और स्पष्ट डकिंग प्रक्रिया
- अंतिम दूरी में अति-सूक्ष्म व्यवस्थान और संरेखण।
- प्रणालियों और सुरक्षा के अंतिम परीक्षण होते हैं, जिससे समय लगता है।
3. क्यों नहीं केवल कुछ घंटे में हो जाता?
- सही ऑर्बिट प्लेन: सिर्फ ऊँचाई बदलना ही नहीं, बल्कि प्लेन को स्टेशन से जोड़ा जाता है—जिसके लिए सही फ्लाइट विंडो चुनी जातीहै।
- स्लो डाउन प्रक्रिया: हाई-स्पीड पर रैन्डीज़वस करना ख़तरे से भरा हो सकता है, अतः धीरे-धीरे किया जाता है।
- ईंधन और सेफ्टी: तेज़ी से मिलने पर ईंधन ज़्यादा लगता है, और सेफ्टी मार्जिन कम हो जाता है।
- ट्रैकिंग और सिस्टम वैरीफिकेशन: ऑर्बिट इसमें वान एलन बेल्ट या GNC का असर, ट्रैकिंग त्रुटियों के लिए समय चाहिए होता है।
4. ISS और Tiangong: दोनों के संदर्भ में प्रक्रिया
- ISS: अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग, 51.6° इन्क्लिनेशन, गति ~ 28 000 किमी/घंटा ।
- Tiangong: चीन का स्टेशन भी लगभग समान ऊँचाई (340–450 किमी) में होता है । रैन्डीज़वस प्रक्रिया मिलती जुलती होती है।
5. नवीनतम खबरें और मिशन अपडेट
- Axiom-4 मिशन: NASA + SpaceX द्वारा निजी मिशन, ISS तक पहुंचने की समय-सारिणी जारी ।
- SpaceX Crew-10 एवं Crew-11: जुलाई, अगस्त 2025 के लिए निर्धारित, डकिंग प्रक्रिया विस्तारित समय ले सकती है।
- चीन का Tiangong विस्तार: तीन मॉड्यूल सक्रिय होने के बाद चाइनीज़ स्टेशन की रैन्डीज़वस प्रक्रिया नियमित रूप से बढ़ी हुई है।
6. सार्वभौमिक कारक जो समय प्रभावित करते हैं
कारक | विवरण |
---|---|
ऑर्बिट प्लेन एलाइनमेंट | सही प्लेन विंडो चुनने में समय लगता है |
रैन्डीज़वस बर्न तकनीक | चरणबद्ध बर्न से धीमी प्रक्रिया होती है |
सुरक्षा चेक पॉइंट्स | हर स्टेज पर सिस्टम की जांच |
ईंधन प्रबंधन | ज़रूरत से अधिक या कम गति से बचने हेतु |
वातावरणीय कारण | ऊँचाई पर अवशिष्ट वायुमंडल (drag), वान एलन आदि |
निष्कर्ष
450 किमी ऊँचाई की यात्रा सिर्फ “ऊँचाई” नहीं, बल्कि कक्षा, गति, सुरक्षा, मार्जिन और समायोजन का संपूर्ण सेट है। ये 28 घंटे इसलिए लगते हैं क्योंकि अंतरिक्ष मिशन में हर एक सेकंड की गणना, बैकअप सिस्टम, और नियंत्रण प्रणाली की जरूरत होती है। चयनित रैन्डीज़वस प्रक्रियाएं—चाहे तेज (4–6 घंटे) हों या मध्यम (24–28 घंटे)—इनके पीछे यही कारण होते हैं।
4 घंटे में क्यों संभव?
फास्ट-ट्रैक रैन्डीज़वस” मिशन में जब लॉन्च के समय, ट्राजेक्ट्री और ऑर्बिट सब परफेक्ट होते हैं, तब यह संभव है ।
आखिरी 10–100 किमी क्यों धीमे चलते हैं?
क्योंकि अंतिम मिलान और डकिंग सिर्फ ऊँचाई नहीं, सटीक गति और निर्देश की आवश्यकता होती है।
वापसी (रीएंट्री) में समय क्यों लेना पड़ता है?
ISS की गति से धीरे आउट करने के लिए deorbit burn, पुनः entry interface, पैराशूट साइकिल और splashdown शामिल है, और 17–20 घंटे तक लग सकते हैं ।