हवाई जहाज का ब्लैक बॉक्स क्या है और यह कैसे काम करता है? – जानिए हर राज़

Zeel Donga
6 Min Read
ब्लैक बॉक्स क्या है
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परिचय

ब्लैक बॉक्स क्या है : क्या आपने कभी सोचा है कि जब कोई हवाई जहाज क्रैश होता है, तो जांच एजेंसियाँ उसके कारणों को कैसे जानती हैं? उत्तर है: ब्लैक बॉक्स
हालांकि इसका नाम “ब्लैक” है, लेकिन यह वास्तव में चमकीले नारंगी रंग का होता है, ताकि आसानी से खोजा जा सके।

ब्लैक बॉक्स दो मुख्य डिवाइस से मिलकर बना होता है – फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR)। ये दोनों मिलकर विमान की हर हरकत और पायलट की बातचीत को रिकॉर्ड करते हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि ब्लैक बॉक्स क्या होता है, कैसे काम करता है, इसका इतिहास क्या है, और क्यों यह विमान सुरक्षा के लिए इतना जरूरी है।

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🧠 1. ब्लैक बॉक्स का इतिहास

ब्लैक बॉक्स की शुरुआत 1950 के दशक में हुई। सबसे पहले इसे ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक डेविड वॉरेन ने डिजाइन किया था। उनके पिता की एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने ऐसा यंत्र बनाने की ठानी जो दुर्घटना के कारणों को जानने में मदद करे।

सन् 1960 के दशक के बाद से, यह यंत्र सभी वाणिज्यिक विमानों में अनिवार्य कर दिया गया।

🔍 2. ब्लैक बॉक्स के प्रकार

1️⃣ फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR)

यह डिवाइस विमान की उड़ान से जुड़ी तकनीकी जानकारियों को रिकॉर्ड करता है जैसे:

  • ऊंचाई (Altitude)
  • रफ्तार (Speed)
  • दिशा (Heading)
  • इंजन की स्थिति
  • एयर प्रेशर
  • फ्लैप्स की पोजिशन

FDR आमतौर पर हर सेकंड में सैकड़ों डेटा पॉइंट्स रिकॉर्ड करता है और हजारों घंटों की उड़ान डेटा सेव कर सकता है।

2️⃣ कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR)

यह पायलट और को-पायलट की बातचीत, ऑडियो अलार्म्स, राडार संवाद, और अन्य साउंड्स को रिकॉर्ड करता है।
CVR आमतौर पर पिछले 2 घंटे तक की ऑडियो रिकॉर्डिंग को सेव करता है।

⚙️ 3. ब्लैक बॉक्स कैसे काम करता है?

✔️ डाटा संग्रहण

ब्लैक बॉक्स में हाई-टेक सेंसर होते हैं जो विमान के हर हिस्से से डेटा इकट्ठा करते हैं।
FDR फिजिकल मूवमेंट और टेक्निकल पैरामीटर्स को रिकॉर्ड करता है, जबकि CVR ध्वनि और संवाद को।
इन दोनों की रिकॉर्डिंग बहुत मजबूत चिप्स पर सेव होती है जिन्हें नुकसान पहुंचाना बहुत मुश्किल होता है।

✔️ दुर्घटना के बाद कैसे मिलता है डेटा?

दुर्घटना के बाद, खोज टीम ब्लैक बॉक्स को ढूंढती है। इसमें एक “अंडरवॉटर लोकेटर बीकन” होता है जो पानी के अंदर 30 दिन तक सिग्नल भेजता है।
जब ब्लैक बॉक्स मिल जाता है, तब विशेषज्ञ उसका डेटा निकालते हैं और जांच शुरू करते हैं कि दुर्घटना के समय क्या हुआ था।

🛡️ 4. ब्लैक बॉक्स की मजबूती

ब्लैक बॉक्स को इतनी मजबूती से बनाया जाता है कि यह:

  • 1,100°C तापमान को 1 घंटे तक झेल सके
  • 3400 G फोर्स तक सह सके
  • 20,000 फीट की गहराई तक पानी में दबाव सह सके
  • भारी विस्फोट और आग में भी सुरक्षित रह सके

यह सब इसलिए कि चाहे कैसी भी दुर्घटना हो, ब्लैक बॉक्स में रिकॉर्डेड डेटा सुरक्षित रहे।

🏭 5. ब्लैक बॉक्स कौन बनाता है?

दुनिया में कुछ ही कंपनियां ब्लैक बॉक्स बनाती हैं, जैसे:

  • Honeywell (USA)
  • L3Harris Technologies
  • Airbus Defence and Space (Europe)

इन कंपनियों द्वारा बनाए गए ब्लैक बॉक्स FAA (Federal Aviation Administration) और ICAO के मानकों के अनुसार होते हैं।

📡 6. ब्लैक बॉक्स सिग्नल कैसे भेजता है?

जब विमान क्रैश होता है और ब्लैक बॉक्स पानी में गिरता है, तब इसका “Underwater Locator Beacon” एक्टिव हो जाता है।
यह 37.5 kHz पर अल्ट्रासोनिक सिग्नल भेजता है, जिससे खोज टीमें उसे ट्रैक कर सकती हैं। यह बीकन लगभग 30 दिनों तक लगातार सिग्नल भेजता रहता है।

🧾 7. ब्लैक बॉक्स के बारे में फैक्ट्स और मिथ

फैक्टसचाई
ब्लैक बॉक्स काला होता है❌ नहीं, यह नारंगी रंग का होता है
केवल पायलट की आवाज रिकॉर्ड होती है✅ हां, सिर्फ कॉकपिट की आवाज
हर एयरक्राफ्ट में होता है✅ सभी वाणिज्यिक विमानों में
लाइव ट्रांसमिशन करता है❌ रिकॉर्डिंग करता है, लाइव नहीं

🚨 8. क्यों जरूरी है ब्लैक बॉक्स?

ब्लैक बॉक्स विमान दुर्घटना की जांच में सबसे बड़ा सबूत होता है। यह बताता है:

  • पायलटों ने क्या निर्णय लिए
  • विमान में कोई तकनीकी खराबी थी या नहीं
  • मौसम या बाहरी वजह से कोई असर पड़ा
  • हादसा इंसानी गलती से हुआ या सिस्टम फेल से

यह जानकारी विमान कंपनियों, सरकारों, और सुरक्षा एजेंसियों को भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव में मदद करती है।

📢 10. निष्कर्ष

ब्लैक बॉक्स कोई जादुई डिवाइस नहीं, बल्कि आधुनिक विज्ञान और तकनीक का एक चमत्कार है।
यह सुनिश्चित करता है कि जब भी कोई विमान हादसा हो, तो हम उससे कुछ सीख सकें, गलतियों को समझ सकें, और भविष्य की उड़ानों को और सुरक्षित बना सकें।

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