Gopal Khemka Murder: गांधी मैदान के पास बिजनेसमैन की हत्या, 6 साल पहले बेटे को भी मारा गया था

Zeel Donga
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Gopal Khemka Murder
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Gopal Khemka Murder : 4 जुलाई, 2025 की रात लगभग 11:30 बजे, पटना के प्रतिष्ठित कारोबारी और बीजेपी के स्थानीय नेता गोपाल खेमका की हत्या की सनसनी फैली। गांधी मैदान के पास स्थित अपने अपार्टमेंट गेट पर कार से उतरते ही उन पर अज्ञात बाइक सवार ने नजदीकी दूरी से गोली चलाई, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई ।

इससे पहले, 2018 में उनके बेटे गुंजन खेमका की हत्या भी इसी ढंग से हुई थी—इसी इलाके में, बाइक सवार द्वारा, शांत वातावरण में।

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Gopal Khemka Murder : घटना स्थल – विस्तृत दृश्य

स्थान: गांधी मैदान थाना क्षेत्र, राम गुलाम चौक — होटल Panache के नजदीक, उनके अपार्टमेंट “कटारुका निवास” के गेट पर।

  • समय: रात करीब 11:30 – 11:40 बजे, जब खेमका बैंकिपोर क्लब से घर लौट रहे थे ।
  • घटना विवरण:
    • खेमका कार रोककर उतर रहे थे।
    • एक बाइक पर दो हमलावर—एक ड्राइवर, दूसरा पैदल—नज़र आए ।
    • क्लोज़-रेंज में सिर में गोली, तुरंत मौके से भाग ।
    • गोलियों व शैल आवरण बरामद, फॉरेंसिक टीम द्वारा अध्ययन जारी।
    • फरार हमलावरों की तस्वीरें CCTV में कैद।

संदिग्धों और मिसिंग सुरक्षा

  • पुलिस प्रतिक्रिया पर आरोप:
    • परिवार का आरोप — पुलिस मौके पर पहुँचने में 3 घंटे की देरी ।
    • गार्ड राम पारस ने बताया कि अब गेट खोलने ही वाले थे कि गोली चल गई ।
    • पांच आदमी, आसपास के 300 मीटर में पुलिस स्टेशन होते हुए भी कोई समय पर उपस्थिति ना।
  • राजनीतिक प्रतिध्वनि:
    • स्वतंत्र MP पप्पू यादव ने इसे “महा गुंडाराज” करार दिया ।
    • RJD समेत विपक्ष ने नीतीश सरकार पर कानून व्यवस्था विफलता का आरोप लगाया ।
  • स्थानीय व्यापारिक वातावरण:
    • पैतृक उद्यमिता, बड़े उद्योग–हॉस्पिटल, पेट्रोल पंप से जुड़े होने के कारण खेमका हाई वैल्यू टार्गेट थे ।

गुंजन खेमका की हत्या (2018) – दोहरा त्रासदी

  • दिसंबर 2018 में गुंजन खेमका को भी बाइक सवार ने गोली मारी थी, उनकी G.K. कॉटन मिल, हाजीपुर में, सिर्फ 100 मीटर दूरी पर थाना होते हुए भी घटना हुई ।
  • उस घटना में फॉरेंसिक, CCTV और ग्राउंड जांच हुई थी, लेकिन साजिश की तह तक पहुंचना चुनौती बनी रही।
  • पिता–बेटे की हत्या में कहानी की समानता और स्थानिक मिलान खेमका परिवार की सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न है।

जांच – SIT, STF, और पुलिस रणनीति

  • विशेष जांच दल (SIT) का गठन SP Diksha की अगुवाई में अपराध के खुलासे हेतु ।
  • STF को भी मामले में जोड़ा गया ताकि देशभर में आतंकी/आपराधिक नेटवर्क की जांच हो सके ।
  • एफएसएल टीम ने जगह का स्कैन किया, गोला-बारूद और शैल्स संग्रहित किए ।
  • सीसीटीवी विश्लेषण, मोबाइल ट्रैकिंग, और एंट्री–एग्जिट रिकार्ड की जांच शामिल है।
  • कानूनी पहलू:
    • हत्या की धारा 302,
    • हथियार अधिनियम,
    • आपराधिक साजिश की संभावित जांच भी हो सकती है।

संभावित पहलू और मोटिव – क्या कारण?

  1. व्यावसायिक विवाद: प्रॉपर्टी, पेट्रोल पंप या अस्पताल को लेकर विवाद ।
  2. पैसे उगाही (extortion): “हाई वैल्यू” परिवार होने की वजह से अफ़ेयर हो सकते थे ।
  3. बेटे की हत्या से नाता: गुंजन की हत्या का मास्टरमाइंड फिर सक्रिय हुआ हो सकता है।
  4. राजनीतिक विद्वेष: स्थानीय राजनीति में शक्ति-संघर्ष, चुनावी माहौल की भूमिका? घटना चुनाव से ठीक पहले हुई ।
  5. स्व-स्वीकृत आत्मरक्षा सकिंभो: पहले हत्या का बदला लिया जा रहा हो, और वो फिर टार्गेट बने।

कानून–व्यवस्था और बिहार की छवि

  • बाइक सवारों द्वारा पब्लिक प्लेस में हाई-प्रोफाइल हत्या बढ़े हुए अपराध को दर्शाते हैं।
  • Police Accountability: यदि पुलिस स्टेशन से इतने पास में 3 घंटे की देरी हुई – तो जवाबदेही और सुधार अति आवश्यक।
  • नीतीश सरकार की छवि: विपक्ष लगातार Jungle Raj और सुशासन के दावों पर सवाल उठा रहा है।
  • व्यापारिक माहौल खराब: Reddit और अन्य सुत्रों में व्यापारिक समुदाय भय व्यक्त कर रहा है ।
  • ग्रामीण-शहरी असुरक्षा: हत्याएं न सिर्फ शहरों, बल्कि औद्योगिक इलाकों में भी हो रही हैं—जो वैश्विक निवेश भावना को बाधित करती हैं।
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