Akarkara के एक से डेढ़ फुट के पौधे बंगाल, मिस्र और अरबस्तान में उगते हैं। हमारे यहाँ ये पौधे कुछ स्थानों पर उगते हैं। इसके मूल और टहनी हमारे देश में आयात होते हैं। इसके पौधे को पीले-सुनहरे फूल आते हैं। इसकी टहनी चबाने से जीभ में झनझनाहट होती है और मुँह में लार आने लगती है।
इसके फूल खाँसी में पान में खाए जाते हैं। इसका आयात अल्जीरिया से किया जाता है। इसकी जड़ बाजार में मिलती है। यह जड़ दो से तीन इंच लंबी और मोटी उंगली जितनी मोटी होती है। यह जड़ बाहर से भूरे रंग की होती है और तोड़ने पर अंदर सफेद दिखाई देती है। जड़ चबाने से जीभ पर झनझनाहट होती है।
यह गर्म और उत्तेजक होता है तथा वायु, कफ, पक्षाघात, मुँह का लकवा, कंपकंपी और सूजन को दूर करता है। यह शुक्रावर्धक और उत्थानकारक भी होता है। इसे घिसकर लगाने से इंद्रियां मजबूत होती हैं। दांतों की परेशानी, जीभ का जकड़ना आदि में उपयोगी है।
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Akarkara ke fayde | Akarkara benefits
- एक चम्मच शहद में छोटे मटर के आकार का अक्कलकरे का चूर्ण मिलाकर रोज रात को चाटने से शरीर में गर्मी आती है और यौन उत्तेजना अनुभव होती है।
- बच्चों को सही से बोलने में दिक्कत हो, देर से और तुतलाकर बोलते हों, तो वाणी सुधारने के लिए अक्कलकरे और घोड़ावज का घिसा हुआ मिश्रण शहद के साथ चटाने से लाभ होता है।
- जैतून के तेल के साथ अक्कलकरे को पीसकर लगाने से मस्तिष्क के रोग, जोड़ों के रोग, स्नायविक रोग, मुँह और छाती के रोग, पक्षाघात, मुँह का लकवा, कूबड़पन, हाथ-पैर में सुन्नपन जैसे पुराने और जिद्दी रोग ठीक होते हैं।
- अक्कलकरे का चूर्ण सड़े हुए, खोखले दांतों पर रखने से दर्द दूर होता है।
- एक चौथाई चम्मच अक्कलकरे का चूर्ण शहद के साथ चाटने या चुटकी भर चूर्ण को नाक में डालने से मिर्गी (हिस्टीरिया) ठीक होती है।
- अक्कलकरे का चूर्ण मुँह में रगड़कर कुल्ला करने से मुँह की दुर्गंध दूर होती है।
- अक्कलकरे का चूर्ण बाजार में मिलता है। इससे मंदाग्नि (कमजोर पाचन), अरुचि (भूख न लगना), खाँसी, बलगम, दमा, उन्माद (पागलपन), मिर्गी आदि ठीक होते हैं।
Akarkara powder | Akarkara uses | Anacyclus pyrethrum powder
अकरकरा चूर्ण का सेवन स्मरणशक्ति और मानसिक तीव्रता को बढ़ाने में सहायक होता है।
यह दांतों के दर्द और अन्य शारीरिक दर्द को कम करने में प्रभावी होता है।
अकरकरा चूर्ण का उपयोग संक्रमणों से लड़ने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में किया जाता है।
यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और अपच जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।
अकरकरा चूर्ण सूजन और जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करता है।
इसका उपयोग त्वचा रोगों के उपचार में भी किया जाता है।
Akarkara for erectile dysfunction ( अकरकरा का उपयोग नपुंसकता के उपचार में)
अकरकरा का सेवन रक्त प्रवाह को बढ़ाता है, जिससे लिंग में रक्त संचार बेहतर होता है और स्तंभन दोष में सुधार हो सकता है।
यह यौन उत्तेजना और यौन शक्ति को बढ़ाने में मदद कर सकता है, जिससे नपुंसकता के लक्षणों में कमी आ सकती है।
अकरकरा का उपयोग हॉर्मोनल संतुलन को बनाए रखने में सहायक हो सकता है, जो यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
यह शारीरिक और मानसिक ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे यौन प्रदर्शन में सुधार हो सकता है।
निष्कर्ष
ऊपर दी गयी माहिती हमने इंटरनेट के माध्यम की है जिसका उदेश्य मात्र आपको जानकारी प्रदान करना था।